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भारत हमेशा से ही कृषि प्रधान देश रहा है लेकिन यहाँ के किसान को देश की तरक्की में कभी प्रधान दर्जा नहीं दिया गया . उसके हाथ हमेशा बंधे हुए ही रहे , उसे आगे बढ़ने की कभी आजादी नहीं मिली .
इस समय देश में राजधानी Delhi के चारो तरफ पिचले 20 दिनों से किसानो का आन्दोलन चल रहा है .इसी बीच हमे ये समझना जरुरी है की आखिर ये ये नए कृषि कानून है क्या ? और इसकी जरुरत क्यूँ पड़ी ?
New Agriculture Bill 2020 and Its Need (नए कृषि बिल की आवश्यकता )
कृषि कानून (Farm bill) की जरुरत क्यों पड़ी इसको इस छोटी सी कहानी से समझते है ;-
एक बार एक गाँव में रामलाल नाम का किसान था , उसके पास खेती करने के लिए बहुत ही कम जगह थी . उसकी आर्थिक स्थिति भी कमजोर थी .जैसे तैसे मेहनत करके साल में दो फसल ले लेता था .
एक बार बारिश बहुत अच्छी हुई और उसके खेत में पैदावार भी अच्छी हुई , उसने सोचा इस बार अच्छी खासी कमाई हो जाएगी और घर वालो के लिए कुछ नए कपडे ले लूँगा . फसल काटने की बारी आई उसने व् उसके घर वालो ने मिलकर फसल काटकर इकठा किया .फसल की पैदावार भी उन्नत किस्म की हुई तो अनुमान लगाया इस बार बढ़िया दाम मिल जाएगा.
किराये पर ट्रेक्टर लाके फसल को लाद कर मंडी की तरफ चला , कही और ले जाकर बेच भी नहीं सकता .मंडी में पहुच तो देखा लम्बी कतार लगी हुई है , उसे टोकन मिला और इंतज़ार के लिए बेठा दिया.
फसल लेने मंडी के दलाल को पता था फसल अच्छी है , लेकिनं अभी ख़रीदे तो फसल की क्वालिटी के आधार पे सही और ज्यादा दाम देने पड़ेंगे इसलिए सेठजी रामलाल को इंतज़ार कराते है ताकि फसल में पड़े पड़े गुणवत्ता कम हो जाए और कम दाम देना पड़े .
रामलाल टकटकी लगाये अपनी बारी का इंतज़ार करता है लगभग 1 दिन बाद उसकी बारी आती है तब तक फसल की नमी थोड़ी कम पड़ जाती है . सेठ जी आते है आते ही फसल दाम जितना किसान ने सोचा होता है उसके आधे बताते है और कहते है इन दामो में देना है तो दे वरना रहने दे .
अब किसान बेचारा क्या करे कही और ले जाकर बेच भी नहीं सकता था कही और बेचे तो कानूनन कार्यवाही हो जाए . करता क्या न करता .
सोच विचार कर जो दाम मिले उसी में बेच देता है साथ में मंडी टैक्स , सफाई टेक्स और न जाने क्या क्या टैक्स चुकाने के बाद घर पर अपनी टूटती उम्मीदों के साथ जाता है और फिर इसी उम्मीद में नयी फसल की तैयारीं करता है की शायद इस बार उसकी उम्मीदे जरुर पूरी होगी .
इस तरह वो अपनी सारी ज़िन्दगी ऐसी उम्मीदों में ही बीता देता है जो कभी पूरी नहीं होती थी .क्यों की उसको अपनी ही उपज को कही भी बेचने की आजादी नहीं मिली .
लेकिन 2020 में भारत सरकार द्वारा कृषि में सुधार हेतु तीन नए कृषि बिल (New Agriculture Bill 2020) पारित किये जाते है जो रामलाल जैसे किसानो को ना सिर्फ आज़ादी देते है बल्कि अपनी उम्मीदों और सपनो को पूरा करने के अवसर भी प्रदान करते है .
भारत सरकार ने तीन नए कृषि कानून पारित किये उनमे पहला, कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश (Farmers' Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Act, 2020) अध्यादेश, 2020.
दूसरा, आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन (The Essential Commodities (Amendment) Bill).
तीसरा, मूल्य आश्वासन पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तिकरण) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill).
नए कृषि बिल के फायदे (Benifits of Farm bill 2020)
- नए कृषि कानून के तहत किसान को अगर मंडी में सही दाम नहीं मिलता है तो अपनी उपज को मंडी के बाहर कही भी जहा उसे सही और ज्यादा दाम मिले वह बेच सकता है .यह कानून किसान को मंडी तक समिति और बाँध कर नहीं रखता है बल्कि उसे आज़ादी प्रदान करता है .
- यह कृषि कानून किसान को अंतरराज्यीय व्यापार करने की छूट प्रदान करता है जिससे उसे ज्यादा और सही दाम मिले .
- वर्तमान में APMCs की ओर से विभिन्न वस्तुओं पर 1% से 10 फीसदी तक बाजार शुल्क लगता है, लेकिन अब राज्य के बाजारों के बाहर व्यापार पर कोई राज्य या केंद्रीय कर नहीं लगाया जाएगा.
- नए कानून के तहत किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग या अनुबंध खेती के लिए निजी कंपनी से सीधे साजेदारी कर सकता है .
- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसान अपनी फसल का दाम पहले ही निर्धारित कर सकता है .और अगर कंपनी को ज्यादा होता है तो किसान की आय में भी बढ़ना स्वाभाविक है .
- वर्तमान में किसान सरकार द्वारा निर्धारित दरो पर निर्भर रहता है लेकिन नए कृषि कानून के अनुसार किसान बड़े व्यापारी और निर्यातको के साथ जुड़ कर ज्यादा दामो पर अपनी फसल बेच सकते है .
- नयी कृषि बिल से कृषि क्षेत्र का विस्तार होगा और रोजगार के अवसर में वृधि होगी .
नए किसान बिल के लेकर बहुत से लोगो के मन में भ्रान्तिया है ,की
क्या कृषि बिल से MSP ख़त्म हो जाएगी ?
दोस्तों भारत सरकार ने जो तीनो कृषि कानून पारित किये है उसमे MSP को लेकर किसी भी प्रकार का कोई कथन नहीं है . सरकार के अनुसार MSP की व्यवस्था पहले थी वैसी ही बनी रहेगी .
क्या निजी कंपनी किसानो की ज़मीन हड़प लेगी ?
दोस्तों ये भी मात्र अपवाह है , कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत निजी कंपनी का किसान की ज़मीन से कोई लेना देना नहीं होगा उसका कॉन्ट्रैक्ट सिर्फ फसल और इसकी गुणवत्ता के साथ होगा . अगर कंपनी पहले से तय दामो पर भुगतान नहीं करेगी तो किसान SDM कोर्ट में अपील कर सकता है जहा उसके मामले का निपटारा एक महीन में करना होगा .
दोस्तों यह जानकारी अगर अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरुर शेयर करे .
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India
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