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पानी के द्वारा प्रधानमंत्री श्री नरेद्र मोदी को लिखा गया ख़त - A Letter by Water to PM Shri Narendra Modi
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आपने अपने जीवन में कई तरह के पत्र देखे होंगे , कोई अपने रिश्तेदार को लिखता है तो कोई अपने दोस्त को . यहाँ हम आपको ऐसे पत्र के बारे में बता रहे है जिसमे पानी (water) ने प्रधान मंत्री श्री नरेद्र मोदी को पत्र लिखा है .आइये जानते है पत्र में क्या लिखा :
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेद्र मोदी जी,
नमस्कार ,
मुझे विश्वास है आप
और आपका परिवार सकुशल होंगे . मै पानी हूँ वही पानी जो आपके दैनिक दिनचर्या का
हिस्सा है , इस प्रकृति में सभी रूपों ठोस , तरल और गैस के रूप में विधमान हूँ .
मै अनंत काल से इस संसार मे हूँ, मै जीव
जन्तुओं, पक्षी, पेड़, मानव
आदि के जीवन का संचालन करता हूँ। मेरा उपयोग समस्त संसार की प्यास बुझान मे, खाना
बनाने, शोच मे , उधोगो
मे , कृषि मे व बिजली
बनाने मे किया जाता है ।संसार मे हर जीव जन्तु व पेड़ पौधे के जीवन का संचालन मेरे
बिना असम्भव है । इन्सान के शरीर का 70% भाग मेरा ही रुप है।
महोदय विगत कुछ दशको से पर्यावरण में हुए बदलावों, नगरीय विकास
व् औधोकीकरण के कारण संसार के कई हिस्सों और भारत में भी कई
शहरो व् गांवो मेरे में मेरे अस्तित्व पर गहरा संकट आ गया है .
उधोगो और नगर के
विकास के लिये पेड़ पौधो व पर्यावरण के विभिन्न स्रोतो का जरुरत से ज्यादा दोहन
किया है । एक पेड़ पौधे ही है जो मेरे बादल स्वरुप को आकर्षित करते हैं लेकिन पेड़ो
की कमी से मेरे लिये पृथ्वी के विभिन्न हिस्सो मे पहुच पाना कठिन हो गया है ।
कई शहरो मे उधोगो से
निकलने वाले रसायनिक कचरे को मेरे अन्दर डाला जाता है जिससे मैं प्रदूषित हो जाता हूँ व मेरे अन्दर बसने वाले
जीव जन्तु का जीवन नष्ट हो जाता है ।
कुछ लोग प्लास्टिक
कचरे को मेरे अंदर फेकते है जो पानी मे रहने वाले जीव
जन्तुओ के लिये कई बार मौत का कारण बन जाता हैं।
इस प्रकार पहले कृषि
प्राकृतिक स्त्रोत द्वारा की जाती थी,लेकिन कृषि मे
रसायनो के प्रयोग को बढावा दिया गया जो बारिश मे मिट्टी के साथ बह कर
मेरे नदी स्वरुप मे मिल जाते है और मुझे प्रदूषित कर देते है।
जरुरत
से ज्यादा दोहन व प्रदूषण ने संसार के कई भागो मे मेरी कमी होने लगी है । जिससे
भुखमरी , अकाल जैसी समस्या
उत्पन्न होने लगी है ।
महोदय मेरा गंगा
स्वरुप भी काफी मैला हो गया था , लेकिन आपके द्वारा नमामि गंगे प्रोजेक्ट चला कर
मेरे संरक्षण हेतु जो प्रयास किया गया वो काफी सराहनीय है . अब मेरे गंगा स्वरुप
में बहुत परिवर्तन आया है , मैं पहले से ज्यादा स्वच्छ और निर्मल हूँ .
मेरे संरक्षण हेतु
सरकारों द्वारा किये गए प्रयासों जैसे
जलशक्ति अभियान , मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना व् अन्य जल ग्रहण योजना से मेरे संरक्षण में बहुत वृधि हुई है . लेकिन
ये सभी अभियान बस कुछ समय के लिए प्रभावी रूप से चलते है और फिर उन्हें उनकी
महत्ता धीरे ध्रीरे कम कर दी जाती है.
“किसी भी अभियान की
सफलता उसमे जुड़ने वाले जन समूह की भागीदारी से ही संभव है. “
महोदय आपने सुना
होगा भारत के कई शहरो में भू-गर्भीय जल स्तर लगातार घट रहा है . और कई जगह तो
भू-गर्भ में मेरी उपस्थिति न के बराबर रह गयी है. अगर मेरे संरक्षण हेतु उचित कदम नहीं उठाये जाते
है तो आने वाले समय में स्थिति बहुत गंभीर होने वाली है .
भारत वर्ष में कई
नदियों में मेरी उपस्थिति जरुरत से ज्यादा है कही ना के बराबर है जिससे देश के कुछ
हिस्सों में मेरे कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है और कही पे अकाल की . इसीलिए
महोदय मेरे नदी स्वरूपों को जोड़ने हेतु संभावित प्रयत्न किये जाए , जिससे मैं देश
के सभी भागो में समान रूप से उपस्थित रह सकू.
महोदय मेरी आपसे बस
यही प्रार्थना है की भारत वर्ष में मेरे संरक्षण हेतु अधिक से अधिक प्रयास किये
जावे, मेरे सरंक्षण को लोगो के जीवन का हिस्सा बनाया जावे और पेड़ लगाना बच्चो की
जीवन शेली का हिस्सा बनाया जाए तभी आने वाले भविष्य के संकट से लड़ा जा सकेगा .
धन्यवाद्
प्रार्थी
पानी /जल
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