- Get link
- Other Apps
- Get link
- Other Apps
नमस्कार ! मै पानी हूँ , लोग मुझे पानी, जल, वॉटर इत्यादी नामो से जानते है । मेरा ना कोई रंग है ना रुप , मुझे जिस रंग और रुप के साथ मिलाय जाता है मै उस रुप का हो जाता हूँ।
इस संसार की उत्पति पांच तत्वो से हुई है जिनमे पृथ्वी, आकाश, अग्नि, वायु और पांचवा मै यानी पानी(water) । इनमे हर तत्व का अपना अपना महत्व है और किसी एक के भी बिना पृथ्वी पर जीवन सम्भव नही है ।
मै आपके चारो और अलग अलग रुपो मे विधमान हूँ । तरल रुप मे तालाबो, नदियो , नहरो, कुवो ओर समुंद्र मे हूँ । हवा मे बादलों के रुप मे हूँ और ठोस अवस्था मे बर्फ के रुप मे हूँ।
मुझे ना ही बनाया जा सकता है और ना ही मिटाया जा सकता है, केवल एक रुप से दुसरे मे परिवर्तित किया सकता है । हर साल मै समुद्र से बादलो के रुप मे वर्षा लेके आता हू और पृथ्वी के अलग अलग भागो मे पहुंचता हू तथा नदियो, नालो के रुप मे पुन: समुद्र मे मिल जाता हूँ ।
मै अनंत काल से इस संसार मे हूँ, मै जीव जन्तुओं, पक्षी, पेड़, मानव आदि के जीवन का संचालन करता हूँ। मेरा उपयोग समस्त संसार की प्यास बुझान मे, खाना बनाने, शोच मे , उधोगो मे , कृषि मे व बिजली बनाने मे किया जाता है ।
संसार मे हर जीव जन्तु व पेड़ पौधे के जीवन का संचालन मेरे बिना असम्भव है । इन्सान के शरीर का 70% भाग मेरा ही रुप है।
विज्ञान की भाषा मे मै यानी (water) Hydrogen के 2 तत्व व Oxygen के 1 तत्व से मिलकर बना हूँ। समस्त रसायनों की उत्पति मेरे द्वारा ही हुई है ।
वेद शास्त्रो मे भी मुझे पूजनीय मान गया है तथा सदियो से मेरा पूजन व संरक्षण किया जाता रहा है, लेकिन समय साथ सब कुछ बदलता गया। इन्सानो ने अपनी उन्नति के लिये मेरा शोषण किया।
इन्सानो ने अपनी जरूरतो को पुरा करने ओर नगरीय विकास के लिये मेरा संरक्षण किये बिना जरुरत से ज्यादा उपयोग लिया।
उधोगो और नगर के विकास के लिये पेड़ पौधो व पर्यावरण के विभिन्न स्रोतो का जरुरत से ज्यादा दोहन किया है । एक पेड़ पौधे ही है जो मेरे बादल स्वरुप को आकर्षित करते हैं लेकिन पेड़ो की कमी से मेरे लिये पृथ्वी के विभिन्न हिस्सो मे पहुच पाना कठिन हो गया है ।
कई शहरो मे उधोगो से निकलने वाले रसायनिक कचरे को मेरे अन्दर डाला जाता है जिससे मेन प्रदूषित हो जाता हूँ व मेरे अन्दर बसने वाले जीव जन्तु का जीवन नष्ट हो जाता है ।
कुछ लोग प्लास्टिक कचरे को मेरे अंदर फेकते है जो पानी मे रहने वाले जीव जन्तुओ के लिये कई बार मौत का कारण बन जाता हैं।
इस प्रकार पहले कृषि प्राकृतिक स्त्रोत द्वारा की जाती थी,लेकिन कृषि मे रसायनो के प्रयोग को बढावा दिया गया जो बारिश मे मिट्टी के साथ बह कर मेरे नदी स्वरुप मे मिल जाते है और मुझे प्रदूषित कर देते है।
जरुरत से ज्यादा दोहन व प्रदूषण ने संसार के कई भागो मे मेरी कमी होने लगी है । जिससे भुखमरी , अकाल जैसी समस्या उत्पन्न होने लगी है ।
प्रदुषण और पेंड़ो की लगातार कटाई तथा बढती जनसँख्या के कारण कई जगह मेरी कमी होने से संकट उत्पन हो रहे है . आने वाले समय में मेरे सरंक्षण हेतु उचित प्रयास नहीं किये गए तो होने वाले विनाश के लिए मानव जाती ही जिम्मेदार होगी .
अगर आने वाले कल को सहेजना है तो जब मै बारिश के रूप में आता हु तो मेरे संरक्षण हेतु तालाब , बाँध ,नाडिया, ग्राउंड वाटर रिचार्ज स्ट्रक्चर , एनिकट, पुराने जल स्त्रोतों व्का बावडियो का जीर्णोधार किया जावे.
अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जावे ताकि मैं ज्यादा से ज्यादा मात्रा में वर्षा के रूप में प्राप्त हो सकू तथा आपके जीवन का संचालन कर सकू .
याद रहे " अगर जल होगा तो कल होगा ".
यहाँ और पढ़े
eassy on save water
h2o
jal sanrakshan
paani
Save water
save water in hindi
slogan on save water in hindi
water
Water conservation
Location:
India
- Get link
- Other Apps
Comments
Post a Comment